“परफेक्शन नहीं, सच्चाई मायने रखती है” – शिवांगी वर्मा मुंबई: अभिनेत्री शिवांगी वर्मा, जो ‘तेरा इश्क मेरा फ़ितूर’ और ‘छोटी सरदारनी’ जैसे शो में नजर आ चुकी हैं और वर्तमान में वेब सीरीज़ ‘ये है सनक’ में दिखाई दे रही हैं, अपने प्रशंसकों के साथ रिश्ते को बहुत खास मानती हैं। उनके लिए यह रिश्ता केवल प्रशंसा का नहीं, बल्कि जीवन में एक मकसद की याद दिलाने वाला है। शिवांगी मुस्कुराते हुए कहती हैं, “मेरे फैंस का प्यार ही मुझे आगे बढ़ने की ताकत देता है। जब कोई कहता है कि मेरा काम देखकर उन्हें प्रेरणा मिली या उन्होंने खुद को पहचाना, तो लगता है कि मैं कुछ सही कर रही हूँ।
यह एहसास मेरे लिए बहुत अनमोल है, और मैं हर प्रोजेक्ट में उनके भरोसे को साथ रखती हूँ। वह मानती हैं कि जहाँ फैंस का प्यार उन्हें ऊर्जा देता है, वहीं यह एक जिम्मेदारी भी लेकर आता है। “हाँ, उनके प्यार से हौसला मिलता है, लेकिन यह भी महसूस होता है कि मुझे अपने असली रूप में रहना है, सच्चाई से काम करना है,” शिवांगी कहती हैं। “मैं खुद को हमेशा याद दिलाती हूँ कि परफेक्शन ज़रूरी नहीं है, सच्चाई ज़रूरी है। शिवांगी बताती हैं कि असली संतुलन तब आता है जब इंसान ज़मीन से जुड़ा रहे और अपनी निजी ज़िंदगी का भी ध्यान रखे।
एक खास याद साझा करते हुए वे कहती हैं, “एक बार एक लड़की ने मुझसे कहा कि मुझे देखकर उसने कॉलेज में बोलने का आत्मविश्वास पाया। उस पल मुझे लगा कि एक्टिंग सिर्फ़ मनोरंजन नहीं होती, यह किसी की ज़िंदगी में बदलाव भी ला सकती है। ऑटोग्राफ से सेल्फी तक के सफर पर बात करते हुए शिवांगी कहती हैं, “अब सेल्फी लेना आम बात है, लेकिन असल मायने उस पल के जुड़ाव में हैं। जब दो लोग एक ही फ्रेम में मुस्कुरा रहे होते हैं, तो वह एक खूबसूरत कनेक्शन बन जाता है।
वह एक और यादगार फैन मोमेंट को भी याद करती हैं — “एक बार मेरे एक फैन ने मुझे अपने हाथों से लिखा हुआ एक स्क्रैपबुक दिया था, जिसमें बहुत सारी प्यारी बातें थीं। मैं सच में भावुक हो गई थी। उस पल लगा कि मेरी कला किसी के दिल को छू रही है। शिवांगी मानती हैं कि शोहरत और निजी जीवन के बीच संतुलन बनाना बहुत ज़रूरी है। “मुझे फैंस से ऑनलाइन बात करना बहुत अच्छा लगता है, लेकिन मैं समय-समय पर खुद को ब्रेक भी देती हूँ, ताकि परिवार के साथ समय बिता सकूँ। यह विराम मुझे अपने असली रूप में बनाए रखता है, ताकि जब मैं फैंस से जुड़ूँ, तो पूरी सच्चाई और दिल से जुड़ सकूँ।
शिवांगी का मानना है कि चमक-दमक से ज़्यादा मायने रखती है इंसान की सच्चाई। उनके शब्दों में –“परफेक्शन नहीं, ऑथेंटिसिटी ज़रूरी है।”


